Sunday, April 21, 2013

नाम से भी मेरे नफ़रत है उसे................मनु भारद्वाज "मनु"




नाम से भी मेरे नफ़रत है उसे
मुझसे इस दर्जा मुहब्बत है उसे


... मुझको जीने भी नहीं देता वो
मेरे मरने की भी हसरत है उसे


रूठ जाऊँ तो मानता है बहुत
फिर भी तड़पाने की आदत है उसे


उसको देखूँ मैं बंद आँखों से
गैरमुमकिन सी ये चाहत है उसे


जब भी चाहे वो सता लेता है
ज़ुल्म ढाने की इजाज़त है उसे


वो 'मनु' पे है जाँ-निसार बहुत
और 'मनु' से ही हिक़ारत है उसे


-मनु भारद्वाज "मनु"

9 comments:

  1. brhatareen, ya yun kah le "JAB VO CHAHE PAS BULA LETA HAI, MUJHE JI BHAR KE SATA LETA HAI , USKA NAFARAT BHI PYAR LAGTA HAI MUJHE,ROOTH JAUN GR TO PAL BHAR ME MANA LETA HAi ...जब भी चाहे वो सता लेता है
    ज़ुल्म ढाने की इजाज़त है उसे


    वो 'मनु' पे है जाँ-निसार बहुत
    और 'मनु' से ही हिक़ारत है उसे

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  2. kya kheni !!! behtirn.....or matla to lazvab hai......

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  3. आपकी इस प्रविष्टि क़ी चर्चा सोमवार [22.4.2013] के 'एक गुज़ारिश चर्चामंच' 1222 पर लिंक क़ी गई है,अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए पधारे आपका स्वागत है |
    सूचनार्थ..

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  4. आभार
    भाई कुलदीप जी

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  5. सुन्दर रचना |

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  6. बहुत भाव पूर्ण ग़ज़ल है मनु जी -सटीक प्रस्तुति
    डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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