स्नेह के पंखो पर सवार
फूलों की रेशमी छुवन लिये
महकती महकाती
छोटी छोटी रातें.
फूलों की वासंती बहार
सहेजे कितना प्यार
मन को दुलराती
छोटी छोटी सौगातें.
हरित भूमि पर
दूब थी मखमली
मरुस्थल में फुहारें
तुम्हारे नेह की बातें.
सतरंगी तूलिका,गोधूलि बेला
ऑंखों में भर कर चाहत के रंग
देह बन गई चंदन
हो गई कस्तूरी सांसें.
-----उर्मिला जैन 'प्रिया'
फूलों की रेशमी छुवन लिये
महकती महकाती
छोटी छोटी रातें.
फूलों की वासंती बहार
सहेजे कितना प्यार
मन को दुलराती
छोटी छोटी सौगातें.
हरित भूमि पर
दूब थी मखमली
मरुस्थल में फुहारें
तुम्हारे नेह की बातें.
सतरंगी तूलिका,गोधूलि बेला
ऑंखों में भर कर चाहत के रंग
देह बन गई चंदन
हो गई कस्तूरी सांसें.
-----उर्मिला जैन 'प्रिया'
सतरंगी तूलिका,गोधूलि बेला
ReplyDeleteऑंखों में भर कर चाहत के रंग
देह बन गई चंदन
हो गई कस्तूरी सांसें.
प्रस्तुत कविता नें संवेदनशील भावों का समावेश मोहित कर गया । . मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
बहुत सुन्दर रचना...
ReplyDeleteसांझा करने के लिए शुक्रिया..
sundar rachna ,bdhai aap ko
ReplyDeletekhubsurat aur mithhe bhav.....badhai ho aap ko...kabhi mere blog par bhi aaiye
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