इत्मिनान से जी लूँ
लिख लूँ कुछ नगमें
जो ज़ज्बात से भरें हों
फिर सोचूँगी की मुझे
अब क्या करना है |
गढ़ लूँ कुछ नये आयाम
सतत बढूँ दीर्घ गूंज से
ले मैं रुख पर नकाब
फिर सोचूँगी की मुझे
अब क्या करना है |
स्मरण कर उन्मुक्त स्वर
स्वछन्द गगन में टहलूं
सहजभाव से स्मृतियों में
कुछ ख्यालों को छुला लूँ
फिर सोचूँगी की मुझे
अब क्या करना है |
महसूस कर लूँ एहसास
तेरे यहाँ आने का
बरस जाये बरखा
सावन भर आये और
तुझसे मिलन हो जाएँ
फिर सोचूँगी की मुझे
अब क्या करना है |
लिख लूँ कुछ नगमें
जो ज़ज्बात से भरें हों
फिर सोचूँगी की मुझे
अब क्या करना है |
गढ़ लूँ कुछ नये आयाम
सतत बढूँ दीर्घ गूंज से
ले मैं रुख पर नकाब
फिर सोचूँगी की मुझे
अब क्या करना है |
स्मरण कर उन्मुक्त स्वर
स्वछन्द गगन में टहलूं
सहजभाव से स्मृतियों में
कुछ ख्यालों को छुला लूँ
फिर सोचूँगी की मुझे
अब क्या करना है |
महसूस कर लूँ एहसास
तेरे यहाँ आने का
बरस जाये बरखा
सावन भर आये और
तुझसे मिलन हो जाएँ
फिर सोचूँगी की मुझे
अब क्या करना है |
--- दीप्ति शर्मा
अनकही बातें
deepti09shrma02blogspot.com
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बहुत ही सार्थक और उम्दा पोस्ट..... जीवन के हर पह्लूं को जी भर जी लेने के बाद ही कुछ करने की अच्छी सोच,आप बधाई की पात्र है ....बधाई स्वीकारें...पहली बार आप के ब्लॉग पर आना हुआ,ख़ुशी हुई आकर .....:)
ReplyDeleteaapka bahut bahut aabhr avanti ji
ReplyDeleteमहसूस कर लूँ एहसास
ReplyDeleteतेरे यहाँ आने का
बरस जाये बरखा
सावन भर आये और
तुझसे मिलन हो जाएँ
फिर सोचूँगी की मुझे
अब क्या करना है |
वाह! बहुत सुन्दर प्रस्तुति.
.
आपकी प्रस्तुति पढकर बहुत अच्छा लगा.
बहुत बहुत आभार.
मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है.
bahut khoob...bahut sundar...
ReplyDeletebahut khubsuraat ahsas ,vaahv aah
ReplyDeleteमहसूस कर लूँ एहसास
ReplyDeleteतेरे यहाँ आने का
बरस जाये बरखा
सावन भर आये और
तुझसे मिलन हो जाएँ
फिर सोचूँगी की मुझे
अब क्या करना है |
एक अच्चा अहसास जो सायद सबने महसूस किया हो....याद आया...
मैं आपको मेरे ब्लॉग पर सादर आमन्त्रित करता हूँ.....
Bhut khubsurat kavita likhi hai aapne
ReplyDeleteHal hi maine blogger join kiya hai aapse nivedan hai ki aap mere post ko padhe aour mujhe sahi disha nirdesh de
Dhnyawad
https://designerdeekeshsahu.blogspot.com/?m=1