मैं अदना नारी
सब कहते है कैसे लिख लेती हो
कितना हुनर है
मैं मुस्करा जाती हूं
और तुम्हें एक राज बताती हूं
लिखने को हुनर नही दिल चाहिए
शब्द नही समझ चाहिए
कोई कहानी नहीं
बस दर्द चाहिएं
कोई बनावट नही
असलियत चाहिएं
कौन क्या लिखता
कैसे लिखता
मैं नही जानती
बस दिल ने जो कहा
मैं बस वहीं मानती
कोई जादू नहीं है ये
ना कोई काबिलियत हैं ये
बस जज्बात से भरा दिल हैं
जिसे आपके समझ में उभारती
बिना जज्बात के बात नहीं बनती
बात बिन कायनात नही रचती
फिर मैं तो कलमकार हूं दोस्तों
जज्बात बिन मेरी
कलम भी ना हिलती
कुछ अनकहे ख्याब
कुछ सबके विचार
कुछ नादानियां
कुछ खामोशियां
कुछ अधूरा प्यार
कभी मां का दुलार
तो कभी हसीं की बौछार ले आती हूं
और अंदर तक भाव भिवोर हो जाती हूं
मैं एक अदना सी नारी
लिख कर कुछ जज़्बात
खुशियां बिखेर देती हूं
आपके संग संग
अपने अधरों पर भी
एक मुस्कान सहेज लेती हूं....
स्वरचित
©नीलम गुप्ता
मन की बात कह दी आपने..सारगर्भित रचना..
ReplyDeleteआप से निवेदन है,कि हमारी कविता भी एक बार देख लीजिए और अपनी राय व्यक्त करने का कष्ट कीजिए आप की अति महान कृपया होगी
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteVery beautiful poem
ReplyDeleteआदरणीया नीलम जी!
ReplyDeleteआपने तो शब्दों में जज्बात उकेर दिए हैं।
बहुत बहुत साधुवाद। अति सुन्दर रचना।
बहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत शानदार रचना
ReplyDeleteबेहतरीन रचना, सादर नमन
ReplyDeleteलिखने को हुनर नही दिल चाहिए
ReplyDeleteशब्द नही समझ चाहिए
कोई कहानी नहीं
बस दर्द चाहिएं
कोई बनावट नही
असलियत चाहिएं
बहुत सुन्दर...
वाह!!!
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteसुंदर सृजन ।
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