कल पिघलती चांदनी में
देखकर अकेली मुझको
तुम्हारा प्यार
चलकर मेरे पास आया था
चांद बहुत खिल गया था।
आज बिखरती चांदनी में
रूलाकर अकेली मुझको
तुम्हारी बेवफाई
चलकर मेरे पास आई है
चांद पर बेबसी छाई है।
कल मचलती चांदनी में
जगाकर अकेली मुझको
तुम्हारी याद
चलकर मेरे पास आएगी
चांद पर मेरी उदासी छा जाएगी।
-स्मृति आदित्य
शुभ संधया...दीदी...
ReplyDeleteचुनकर कविता पेश की है आपने....
धन्यवाद
Deleteसुंदर !
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteसुन्दर कविता
ReplyDeleteचांद पर मेरी उदासी छा जाएगी, ''गर छलक आए मेरी आंखों में आंसू'' बहुत ही सुंदर रचना की प्रस्तुति।
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteचांद पर मेरी उदासी छा जाएगी, ''गर छलक आए मेरी आंखों में आंसू'' बहुत ही सुंदर रचना की प्रस्तुति।
ReplyDeleteधन्यवाद
Deletepyari kavita hai........
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteधन्यवाद
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