Wednesday, August 7, 2013

ख़त्म सारे फ़साने हुए..........दानिश भारती



शौक़ दिल के पुराने हुए
हम भी गुज़रे ज़माने हुए

बात, आई-गई हो गई
ख़त्म सारे फ़साने हुए

आपसी वो कसक अब कहाँ
बस बहाने , बहाने हुए

दूरियाँ और मजबूरियाँ
उम्र-भर के ख़ज़ाने हुए

आँख ज्यों डबडबाई मेरी
सारे मंज़र सुहाने हुए

याद ने भी किनारा किया
ज़ख्म भी अब पुराने हुए

दिल में है जो, वो लब पर नहीं
दोस्त सारे सयाने हुए

भूल पाना तो मुमकिन न था
शाइरी के बहाने हुए

ख़ैर , 'दानिश' तुम्हे क्या हुआ
क्यूँ अलग अब ठिकाने हुए

--दानिश भारती


7 comments:

  1. आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल गुरुवार (08-08-2013) को "ब्लॉग प्रसारण- 79" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है.

    ReplyDelete
  2. दानिशवरों की महफ़िल में आना
    बहुत भला लगता है ...
    शुक्रगुज़ार हूँ !

    ReplyDelete
  3. अच्छी रचना है बहुत ही .

    ReplyDelete
  4. आपकी इस ब्लॉग-प्रस्तुति को हिंदी ब्लॉगजगत की सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुतियाँ ( 6 अगस्त से 10 अगस्त, 2013 तक) में शामिल किया गया है। सादर …. आभार।।

    कृपया "ब्लॉग - चिठ्ठा" के फेसबुक पेज को भी लाइक करें :- ब्लॉग - चिठ्ठा

    ReplyDelete