Tuesday, July 19, 2016

अरेंज्ड मैरिज....अवधेश कुमार झा

 "बधाई हो आप बाप बनने वाले हैं।"

सुनकर उसकी ख़ुशी का ठिकाना न रहा उमेश ने उत्साह से पूछा, "कब?"

डॉक्टर मुस्कुराते हुए बोली, "बस चार महीने और इंतज़ार।"
उसकी ख़ुशी जाती रही उसने धीरे से पूछा, "अगर हम अभी न चाहें तो?"

"सॉरी अब बच्चा बड़ा हो चुका है और माँ काफ़ी कमज़ोर है; उसकी जान को बहुत ख़तरा हो सकता है।"
उसके बदले रुख से डॉक्टर भी हैरान हो गई लेकिन वो क्या बताता कि शादी को तीन महीने ही हुए हैं।
रिपोर्ट और पत्नी को लेकर चुपचाप निकल लिया। 

गाड़ी में भी ख़ामोशी छायी रही। बहुत हिम्मत करके पत्नी की तरफ़ देखा, "कौन था?" 
"क्या फ़ायदा शादी की रात ही वो सुसाईड कर चुका है।"

थोड़ी देर चुप रहने के बाद धीरे से बोला, "दुनियाभर के मेडिकल सॉल्यूशन भी तो होते हैं।"

"उसके विजातीय होने से घर में इतना बवाल मचा था कि अपने शरीर की तरफ़ ध्यान ही नहीं गया, फिर शादी और यहाँ नई बहू की रस्में। सच पूछो तो अपने बारे में सोचने का मौक़ा ही नहीं मिला," कहते हुए उसने सर झुका लिया।

"ये पत्थर जीवन भर सीने पर रखकर जीना होगा?"
"यही जीवन है मैं भी तो एक मौत का कारण बनकर जी रही हूँ न," 
रूखा सा जबाब देकर उसने मुँह फेर लिया।

"लड़कियाँ बहुत बहादुर होती हैं," 
कहकर दरवाज़ा खोला उसने और चलती गाड़ी से 
पुल के नीचे छलाँग लगा दी।











-अवधेश कुमार झा

awdheshkumar.jha@gmail.com

3 comments:

  1. ये तो कायरता का उदाहारण बन गया लेकिन ।

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  2. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 'भटकाव के दौर में परंपराओं से नाता - ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

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  3. यदि सही तरीके से देखे तो दोनो घटना गलत है शादी से पहले गर्भधारण और आत्महत्या ।

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