Friday, February 13, 2015

लफ्ज़ों का बयां...श़ायरों की ज़ुबां



आशिकी से मिलेगा ए ज़ाहिद
बन्दगी से ख़ुदा भी नहीं मिलता
-दाग

दुनिया के सितम याद न अपनी वफा याद
अब मुझको नहीं कुछ भी मोहब्बत के सिवा याद
-जिगर मुरादाबादी


एक मुद्दत से तेरी याद भी आई न हमें
और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं
-फ़िराक


इश्क से तबियत ने जिस्त का मजा पाया
दर्द की दवा पाई दर्द बे-दवा पाया
-गालिब


मुहब्बत में नहीं फर्क जीने और मरने का
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफिर पे दम निकले
-गालिब

मालूम है कि प्यार खुला आसमान है
छूटते नहीं ये दर-ओ-दीवार क्या करूँ
अनवर शऊर


मोहब्बत उसे भी बहुत है मुझसे
जिन्दगी सारी इस वहम ने ले ली
-मजाज लखनवी


वो मेरा है तो कोई और उसे क्यों देखे
जाने क्यों मुहब्बत में, बच्चा-सा हो गया हूँ मैं
-मजाज लखनवी


ये मुहब्बत भी है क्या रोग फराज़
जिसे भूले वो सदा याद आया
-अहमद फराज़

इन को नासिर न कभी आंख से गिरने देना
उनको लगता है मेरी आंख में प्यारे आंसू
-नासिर काजमी

प्यारा सा संकलन
नायिका से


6 comments:

  1. बहुत खूब..संकलन प्रस्तुत करने के लिये आभार।

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  2. सार्थक प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (14-02-2015) को "आ गया ऋतुराज" (चर्चा अंक-1889) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    पाश्चात्य प्रेमदिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. बहुत खूब, एक से बढ़कर एक शेर प्रस्‍तुत किए हैं आपने।

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