Friday, March 22, 2013

रिश्ते बस रिश्ते होते हैं.....एक नज्म...गुलजार




रिश्ते बस रिश्ते होते हैं
कुछ इक पल के
कुछ दो पल के

कुछ परों से हल्के होते हैं
बरसों के तले चलते-चलते
भारी - भरकम हो जाते हैं

कुछ भारी - भरकम बर्फ के से
बरसों के तले गलते - गलते
हल्के - फुल्के हो जाते हैं

नाम होते हैं रिश्तों के
कुछ रिश्ते नाम के होते हैं
रिश्ता वह अगर मर जाए भी
बस नाम से जीना होता है

बस नाम से जीना होता है
रिश्ते बस रिश्ते होते हैं

--गुलजार 

6 comments:

  1. kitne halke - kitne bhari, na janu bas itna jaanu....rishte bas rishte hote hain...Gulzaar G ko salaam, yashoda G ko dhanyvaad itni sundar rachna se parichay karvane ka.

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  2. sundar prastuti,रिश्ते बस रिश्ते होते हैं
    कुछ इक पल के
    कुछ दो पल के

    कुछ परों से हल्के होते हैं
    बरसों के तले चलते-चलते
    भारी - भरकम हो जाते हैं

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  3. खूबसूरत......

    शुक्रिया यशोदा.
    सस्नेह
    अनु

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  4. वाह बहुत खूब

    रिश्ते बस रिश्ते होते है ..

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  5. रिश्ता वह अगर मर जाए भी
    बस नाम से जीना होता है
    ---------------------
    हाथ छूटे भी तो रिश्ते नहीं छूटा करते ....
    वक़्त की शाखों से लम्हे .......................

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