Sunday, November 17, 2024

गुलाबी अक्षर

 हथेलियों पर गुलाबी अक्षर



रख दो
इन कांपती हथेलियों पर
कुछ गुलाबी अक्षर
कुछ भीगी हुई नीली मात्राएं
बादामी होता जीवन का व्याकरण
चाहती हूँ कि
हथेली पर उग कोई कविता
अंकुरित हो जाए कोई भाव
प्रस्फुटित हो जाए कोई विचार
फूटने लगे ललछौंही कोंपलें...
मेरी हथेली की उर्वरा शक्ति
सिर्फ जानते हो तुम
और तुम ही दे सकते हो
कोई रंगीन-सी उगती हुई कविता
इस रंगहीन वक्त में ....

-फाल्गुनी

(पुस्तक कल ही मिली इसी संग्रह की पहली कविता है ये)