मुद्दतोँ बाद मेरी आँखोँ में आँसू आए............शायर ज़नाब बशीर बद्र
रात आँखों में ढली पलकों पे जुगनू आए
हम हवाओँ की तरह जा के उसे छू आए
बस गई है मेरे अहसास में ये कैसी महक
कोई ख़ुशबू मैं लगाऊँ तेरी ख़ुशबू आए
उसनेँ छू कर मुझे पत्थर से फिर इंसान किया
मुद्दतोँ बाद मेरी आँखोँ में आँसू आए
उसकी आँखें मुझे मीरा का भजन लगती हैं
पलकेँ झपकाए तो लोबान की ख़ुशबू आए
उन फ़कीरोँ को ग़ज़ल अपनी सुनाते रहियो
जिनकी आवाज़ में दरगाहोँ की ख़ुशबू आए
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शायर ज़नाब बशीर बद्र
बेहतरीन ग़ज़लें
ReplyDeleteबेहतरीन ग़ज़ल
ReplyDeleteअति सुन्दर
ReplyDeleteउन फ़कीरोँ को ग़ज़ल अपनी सुनाते रहियो
ReplyDeleteजिनकी आवाज़ में दरगाहोँ की ख़ुशबू आए
बेहतरीन अति सुन्दर ग़ज़ल
ReplyDeleteसुंदर गजल, साझा करने के लिए आभार
यहाँ भी पधारे
http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_5.html
umda wa shreshtha ghazal
ReplyDeleteबहुत सुंदर गजल है
ReplyDeleteक्या बात
बढिया गजल पहुंचाने के लिए आभार यशोदा जी
koi shabd nhi...
ReplyDeletevo mere pasndida shayaro me se ek h.
shukriya