Sunday, July 7, 2013

मुद्दतोँ बाद मेरी आँखोँ में आँसू आए............शायर ज़नाब बशीर बद्र

 
रात आँखों में ढली पलकों पे जुगनू आए
हम हवाओँ की तरह जा के उसे छू आए

बस गई है मेरे अहसास में ये कैसी महक
कोई ख़ुशबू मैं लगाऊँ तेरी ख़ुशबू आए

उसनेँ छू कर मुझे पत्थर से फिर इंसान किया
मुद्दतोँ बाद मेरी आँखोँ में आँसू आए

उसकी आँखें मुझे मीरा का भजन लगती हैं
पलकेँ झपकाए तो लोबान की ख़ुशबू आए

उन फ़कीरोँ को ग़ज़ल अपनी सुनाते रहियो
जिनकी आवाज़ में दरगाहोँ की ख़ुशबू आए

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शायर ज़नाब बशीर बद्र

8 comments:

  1. बेहतरीन ग़ज़ल

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  2. उन फ़कीरोँ को ग़ज़ल अपनी सुनाते रहियो
    जिनकी आवाज़ में दरगाहोँ की ख़ुशबू आए
    बेहतरीन अति सुन्दर ग़ज़ल

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  3. सुंदर गजल, साझा करने के लिए आभार




    यहाँ भी पधारे
    http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_5.html

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  4. बहुत सुंदर गजल है
    क्या बात
    बढिया गजल पहुंचाने के लिए आभार यशोदा जी

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  5. koi shabd nhi...
    vo mere pasndida shayaro me se ek h.

    shukriya

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