Monday, July 15, 2013

मगर ये दिल अब उस को आज़माना चाहता है.............हुमैरा राहत



फ़साना अब कोई अंजाम पाना चाहता है
तअल्लुक टूटने को इक बहाना चाहता है

जहाँ इक शख्स भी मिलता नहीं है चाहने से
वहाँ ये दिल हथेली पर ज़माना चाहता है

मुझे समजा रही है आँख की तहरीर उस की
वो आधे रास्ते से लौट जाना चाहता है

ये लाज़िम है कि आँखे दान कर दे इश्क को वो
जो अपने ख़्वाब की ताबीर पाना चाहता है

बहुत उकता गया है बे-सुकूनी से वो अपनी
समंदर झील के नजदीक आना चाहता है

वो मुझ को आजमाता ही रहा है जिंदगी भर
मगर ये दिल अब उस को आज़माना चाहता है

उसे भी ज़िन्दगी करनी पड़ेगी 'मीर' जैसी
सुखन से गर कोई रिश्ता निभाना चाहता है

- हुमैरा राहत

सौजन्यः अशोक खाचर
 

7 comments:

  1. उसे भी ज़िन्दगी करनी पड़ेगी 'मीर' जैसी
    सुखन से गर कोई रिश्ता निभाना चाहता है

    just amazing.

    नई पोस्ट
    तेरी ज़रूरत है !!

    ReplyDelete
  2. वो मुझ को आजमाता ही रहा है जिंदगी भर
    मगर ये दिल अब उस को आज़माना चाहता है

    बहुत सुन्दर रचना,

    ReplyDelete

  3. बहुत सुन्दर रचना,

    ReplyDelete
  4. हर शेर लाजवाब ... कमाल की गज़ल ...

    ReplyDelete
  5. शुभसंध्या छोटी बहना
    बहुत ही लाजवाब और सशक्त गजल
    हार्दिक शुभकामनायें
    शुभरात्री

    ReplyDelete
  6. सुन्दर-
    आभार आदरणीया-

    ReplyDelete
  7. ये लाज़िम है कि आँखे दान कर दे इश्क को वो
    जो अपने ख़्वाब की ताबीर पाना चाहता है

    क्या बात है, बहुत सुंदर

    यशोदा जी आपका ये ब्लाग आपका ही नहीं हम सबका धरोहर बनता जा रहा है। बहुत सुंदर संकलन

    ReplyDelete