फ़साना अब कोई अंजाम पाना चाहता है
तअल्लुक टूटने को इक बहाना चाहता है
जहाँ इक शख्स भी मिलता नहीं है चाहने से
वहाँ ये दिल हथेली पर ज़माना चाहता है
मुझे समजा रही है आँख की तहरीर उस की
वो आधे रास्ते से लौट जाना चाहता है
ये लाज़िम है कि आँखे दान कर दे इश्क को वो
जो अपने ख़्वाब की ताबीर पाना चाहता है
बहुत उकता गया है बे-सुकूनी से वो अपनी
समंदर झील के नजदीक आना चाहता है
वो मुझ को आजमाता ही रहा है जिंदगी भर
मगर ये दिल अब उस को आज़माना चाहता है
उसे भी ज़िन्दगी करनी पड़ेगी 'मीर' जैसी
सुखन से गर कोई रिश्ता निभाना चाहता है
तअल्लुक टूटने को इक बहाना चाहता है
जहाँ इक शख्स भी मिलता नहीं है चाहने से
वहाँ ये दिल हथेली पर ज़माना चाहता है
मुझे समजा रही है आँख की तहरीर उस की
वो आधे रास्ते से लौट जाना चाहता है
ये लाज़िम है कि आँखे दान कर दे इश्क को वो
जो अपने ख़्वाब की ताबीर पाना चाहता है
बहुत उकता गया है बे-सुकूनी से वो अपनी
समंदर झील के नजदीक आना चाहता है
वो मुझ को आजमाता ही रहा है जिंदगी भर
मगर ये दिल अब उस को आज़माना चाहता है
उसे भी ज़िन्दगी करनी पड़ेगी 'मीर' जैसी
सुखन से गर कोई रिश्ता निभाना चाहता है
- हुमैरा राहत
सौजन्यः अशोक खाचर
सौजन्यः अशोक खाचर
उसे भी ज़िन्दगी करनी पड़ेगी 'मीर' जैसी
ReplyDeleteसुखन से गर कोई रिश्ता निभाना चाहता है
just amazing.
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तेरी ज़रूरत है !!
वो मुझ को आजमाता ही रहा है जिंदगी भर
ReplyDeleteमगर ये दिल अब उस को आज़माना चाहता है
बहुत सुन्दर रचना,
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना,
हर शेर लाजवाब ... कमाल की गज़ल ...
ReplyDeleteशुभसंध्या छोटी बहना
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब और सशक्त गजल
हार्दिक शुभकामनायें
शुभरात्री
सुन्दर-
ReplyDeleteआभार आदरणीया-
ये लाज़िम है कि आँखे दान कर दे इश्क को वो
ReplyDeleteजो अपने ख़्वाब की ताबीर पाना चाहता है
क्या बात है, बहुत सुंदर
यशोदा जी आपका ये ब्लाग आपका ही नहीं हम सबका धरोहर बनता जा रहा है। बहुत सुंदर संकलन