सावन का महीना हो...............वज़ीर आग़ा
सावन का महीना हो
हर बूंद नगीना हो
क़ूफ़ा हो ज़बां उसकी
दिल मेरा मदीना हो
आवाज़ समंदर हो
और लफ़्ज़ सफ़ीना हो
मौजों के थपेड़े हों
पत्थर मिरा सीना हो
ख़्वाबों में फ़क़त आना
क्यूं उसका करीना हो
आते हो नज़र सब को
कहते हो, दफ़ीना हो
- वज़ीर आग़ा
सौजन्य भाई अशोक खाचर
सावन का महिना हो हर बूंद नगीना हो... अति सुंदर !!
ReplyDeleteउर्दू के, सामान्य रूप से अप्रचलित, शब्दों के अर्थ भी साथ में होते तो आशय समझने में बहुत आसानी होती .
ReplyDeleteवज़ीर आग़ा जी की सुन्दर नज़्म प्रस्तुति हेतु धन्यवाद
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