संवरने को जी चाहता है.................."चरण"
कई बार क़त्ल करने को जी चाहता है ,
कई बार स्वयं मरने को जी चाहता है .
हो गए हालात इस कदर बदतर ,
हद से गुजरने को जी चाहता है .
थक गया हूँ लीक पर चलते चलते ,
कुछ नया करने को जी चाहता है .
परखने को वक्त के मूसल की ताकत ,
सर ओखली में धरने को जी चाहता है .
क्षमा करना दोस्त मन में खोट नहीं ,
बस यों ही मुकरने को जी चाहता है .
जरा ठहरो मेरी अर्थी उठाने वालों ,
आखरी बार संवरने को जी चाहता है .
"चरण"
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जरा ठहरो मेरी अर्थी उठाने वालों ,
ReplyDeleteआखरी बार संवरने को जी चाहता है--JORDAR PRASTUTI