ऐ दिल-ए-नादाँ न धड़क............कैफ़ भोपाली
कौन आयेगा यहाँ कोई न आया होगा
मेरा दरवाज़ा हवाओं ने हिलाया होगा
दिल-ए-नादाँ न धड़क, ऐ दिल-ए-नादाँ न धड़क
कोई ख़त लेके पड़ोसी के घर आया होगा
गुल से लिपटी हुई तितली को गिराकर देखो
आँधियों तुम ने दरख़्तों को गिराया होगा
'कैफ़' परदेस में मत याद करो अपना मकाँ
अब के बारिश में उसे तोड़ गिराया होगा
---कैफ़ भोपाली
पड़ोसी के घर आया होगा.... बहुत बेहतरीन गजल !!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया...
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ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार (08-04-2013) के "http://charchamanch.blogspot.in/2013/04/1224.html"> पर भी होगी! आपके अनमोल विचार दीजिये , मंच पर आपकी प्रतीक्षा है .
सूचनार्थ...सादर!
bahut khoob ,meripasandida gazl,
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति,आभार.
ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteYou write Mind blowing thoughts..... Visit me on "aditishuklarocks.blogspot.in"
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