दिल से निकल गया, .. नज़र से उतर गया
अच्छा हुआ ये भूत ....... सर से उतर गया
घबराहट होगी .. सताएगा अकेलापन बहुत
बुलंदी से मैं फ़क़त इस .. डर से उतर गया
दस्तार रही सलामत .. इज्ज़त भी बच गई
पर इस कोशिश में सर .. धड़ से उतर गया
सर चढ़ के बोलता था .. ‘ईमानदारी का नशा’
अब तो वो खुमार भी ........ अरसे उतर गया
यूं तो यकीं करने को .. यहाँ हमसफ़र बहुत है
पर क्या करें एतबार .. रहगुज़र से उतर गया
--अमित हर्ष
यूं तो यकीं करने को .. यहाँ हमसफ़र बहुत है
ReplyDeleteपर क्या करें एतबार .. रहगुज़र से उतर गया
बहूत खूब
हो सके तो इस छोटी सी पंछी की उड़ान को आशीष दीजियेगा
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तेरे मेरे प्यार का अपना आशियाना !!
यूं तो यकीं करने को .. यहाँ हमसफ़र बहुत है
ReplyDeleteपर क्या करें एतबार .. रहगुज़र से उतर गया
सच्चाई .......
waaaaaaaaaah waaaaaaaaaaah
ReplyDeletebhetrin hai waaaah
imaandaari ka nasha utar gaya... bahut khub....
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