कितनी हसरत थी कि वो आवाज दे प्यार से,
और मैं तड़पकर उनकी बाहों में समा जाऊं,
पर तनहाई के इन लम्हातों में,
अधूरी हसरतों के संग जिंदगी कैसे बिताऊं?
अकसर जश्न-ए-महफिल में जब जिक्र हो बहारों का,
तब चुपके से आ जाते हैं वो मेरे खयालातों में,
ऐसे में बढ़ जाए बेचैनियां तो कहां जाऊं?
अधूरी हसरतों के संग जिंदगी कैसे बिताऊं?
अकसर तनहा रातों में,करूं उनसे बातें जब ख्वाबों में,
ऐसे में जब आ जाए अश्क मेरी इन आंखों में,
ऐसे में वो न आएं तो हाल-ए-दिल किसको सुनाऊं,
अधूरी हसरतों के संग जिंदगी कैसे बिताऊं?
अकसर मेरा दिल मुझको समझाता है हौले से,
गुजर जाएंगे ये दिन भीबस यूंही बातों बातों में,
ऐसे में खुश होकर मैं,मिलन के सपने सजाऊं,
अधूरी हसरतों के संग जिंदगी कैसे बिताऊं?........
कितनी हसरत थी कि वो आवाज दे प्यार से,
और मैं तड़पकर उनकी बाहों में समा जाऊं,
पर तनहाई के इन लम्हातों में,
अधूरी हसरतों के संग जिंदगी कैसे बिताऊं?
और मैं तड़पकर उनकी बाहों में समा जाऊं,
पर तनहाई के इन लम्हातों में,
अधूरी हसरतों के संग जिंदगी कैसे बिताऊं?
अकसर जश्न-ए-महफिल में जब जिक्र हो बहारों का,
तब चुपके से आ जाते हैं वो मेरे खयालातों में,
ऐसे में बढ़ जाए बेचैनियां तो कहां जाऊं?
अधूरी हसरतों के संग जिंदगी कैसे बिताऊं?
तब चुपके से आ जाते हैं वो मेरे खयालातों में,
ऐसे में बढ़ जाए बेचैनियां तो कहां जाऊं?
अधूरी हसरतों के संग जिंदगी कैसे बिताऊं?
अकसर तनहा रातों में,करूं उनसे बातें जब ख्वाबों में,
ऐसे में जब आ जाए अश्क मेरी इन आंखों में,
ऐसे में वो न आएं तो हाल-ए-दिल किसको सुनाऊं,
अधूरी हसरतों के संग जिंदगी कैसे बिताऊं?
अकसर मेरा दिल मुझको समझाता है हौले से,
गुजर जाएंगे ये दिन भीबस यूंही बातों बातों में,
ऐसे में खुश होकर मैं,मिलन के सपने सजाऊं,
अधूरी हसरतों के संग जिंदगी कैसे बिताऊं?........
खुबसूरत रचना......
ReplyDeleteVery beautiful Lines
ReplyDeleteBahut aabhar apka yashoda ji...:)
ReplyDeleteबहुत अच्छा भाव लिए रचना प्रीति जी!आभार यशोदा जी !
ReplyDeleteडैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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कितनी हसरत थी कि वो आवाज दे प्यार से,
ReplyDeleteऔर मैं तड़पकर उनकी बाहों में समा जाऊं,
पर तनहाई के इन लम्हातों में,
अधूरी हसरतों के संग जिंदगी कैसे बिताऊं?
Sajjan Jee, New Delhi-92
क्या बात , बहुत अच्छा है
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