ज़िंदगी फ़कीराना सी होने लगी है शायद
आता जाता हर शख्स खुदा सा लगता है
दुआओं का असर कुछ यूँ हो रहा है मुझ पर
जिस्म और रूह में अब फासला सा लगता है
एहसास के कतरे भीगी पलकों पे ठहरे हैं
ख्याबों का कोई थका कारवाँ सा लगता है
न कीजिये अब मुझसे मुहब्बत की बातें आप
इंतजारे-इश्क़ में हर लम्हा सजा सा लगता है
धड़कनें कहती हैं दिल से जब जुदाई की दास्ताँ
तुम्हारे बिना ये जीना एक गुनाह सा लगता है
बुनता रहता है धूप में अक्सर यादों के सपने
मेरा साया भी मुइसे खफा खफा सा लगता है
आता जाता हर शख्स खुदा सा लगता है
दुआओं का असर कुछ यूँ हो रहा है मुझ पर
जिस्म और रूह में अब फासला सा लगता है
एहसास के कतरे भीगी पलकों पे ठहरे हैं
ख्याबों का कोई थका कारवाँ सा लगता है
न कीजिये अब मुझसे मुहब्बत की बातें आप
इंतजारे-इश्क़ में हर लम्हा सजा सा लगता है
धड़कनें कहती हैं दिल से जब जुदाई की दास्ताँ
तुम्हारे बिना ये जीना एक गुनाह सा लगता है
बुनता रहता है धूप में अक्सर यादों के सपने
मेरा साया भी मुइसे खफा खफा सा लगता है
---मनीष गुप्ता
bahut khoob ....
ReplyDeleteसुन्दर ग़ज़ल.
ReplyDeletebehatareen
ReplyDeleteबेहतरीन...!!
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल की प्रस्तुति,आभार.
ReplyDeleteumda gazal.gazab
ReplyDeleteआपकी यह रचना कल मंगलवार (21 -05-2013) को ब्लॉग प्रसारण अंक - २ पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
ReplyDeleteधड़कनें कहती हैं दिल से जब जुदाई की दास्ताँ
ReplyDeleteतुम्हारे बिना ये जीना एक गुनाह सा लगता है..bahut khoob ....
बहुत सुन्दर ग़ज़ल.... बेहतरीन प्रस्तुति,आभार.
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति!
ReplyDeleteज़िंदगी फ़कीराना सी होने लगी है शायद
ReplyDeleteआता जाता हर शख्स खुदा सा लगता है
दुआओं का असर कुछ यूँ हो रहा है मुझ पर
जिस्म और रूह में अब फासला सा लगता है
बहुत बढ़िया ...
ख्याबों का कोई थका कारवाँ सा लगता है
इस पंक्ति में क्या आप ख्यालों कहना चाहते हैं या ख़्वाबों कहना चाहते हैं कुछ त्रुटि लगती है ...कृपया चेक कर लें ...