हर वर्ष की तरह आज..
"मातृ दिवस"
मनाया जा रहा है
बस एक दिन.....
माँ का सम्मान किया जाता है
क्या माँ..........
वो इसी एक दिन.......
के लिये होती है
बाकी के....
तीन सौ चौंसठ दिन
वो शायद
चाकरी करती है....
अपने बच्चों की...
अपने पति की..
निःस्वार्थ भावना लिये
और देर रात...
दुबक जाती है...
घर के किसी कोने में
और संचय करती है
बल...
आने वाले कल के लिये
--यशोदा
Naman apki lekhni ko jo maa ki vyatha kah pai..._____/\____
ReplyDeletema ki vytha katha ki sundar aur marmsparshi prastuti,
ReplyDeletesundar aur marmsparshi prastuti,(hindi me likhne ka vystha kijiye ,Yashoda JI)
ReplyDeleteजीती कम जागती ज्यादा माँ
ReplyDeleteबेहतरीन... माँ की सुंदर भावपूर्णरचना !!
ReplyDeleteबेहतरीन... माँ की सुंदर भावपूर्णरचना !!
ReplyDeleteमाँ की सुंदर भावपूर्णरचना !
ReplyDeleteबहुत भाव प्रधान रचना ...सिस्टर
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर
ReplyDeleteभावमय करते शब्द ... अनुपम प्रस्तुति
ReplyDeleteसोचने की बात है ....
ReplyDeleteसही कहा आपने
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