जामे तेरे हाथों की कीमत थी कुछ ऐसी
तेरे इश्क ने मुझे दिवाला बना दिया
ये पायल की झंकार से जो टूटी मेरी महल
तेरे इश्क ने उसे घुड़शाला बना दिया
नवाब थे हम भी अपने सल्तनत की
तेरे इश्क ने मुझे निराला बना दिया
अर्जी चढ़ाई जाती हमारी दहलीज मे
तेरे इश्क ने उसे मधुशाला बना दिया
दौलत थी पास मे तो हर शाम रंगीन थी
तेरे इश्क ने मुझे घरवाला बना दिया
-हरि पौडेल
तेरे इश्क ने मुझे दिवाला बना दिया
ये पायल की झंकार से जो टूटी मेरी महल
तेरे इश्क ने उसे घुड़शाला बना दिया
नवाब थे हम भी अपने सल्तनत की
तेरे इश्क ने मुझे निराला बना दिया
अर्जी चढ़ाई जाती हमारी दहलीज मे
तेरे इश्क ने उसे मधुशाला बना दिया
दौलत थी पास मे तो हर शाम रंगीन थी
तेरे इश्क ने मुझे घरवाला बना दिया
-हरि पौडेल
bahut khoob...
ReplyDeletebahut khoob Yashoda ji,kisi ko gharvala to kisi ko gharvali bana deta ,ye kambkht haota hi hai aisa, sundar
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