जिन्दगी डराती है...................डॉ. मधुसूदन चौबे
बहुत ही महीन हाथों से सिर दबाती है
दर्द होने पर, माँ अक्सर याद आती है
तारा बनकर चमक रही है आकाश में
उसकी रोशनी मेरे दिल तक आती है
इतनी उम्र में भी नन्हा समझती रही
अब भी उंगली पकड़ रास्ता बताती है
तू थी, तो सब ठीक चलता था माँ
तेरे बिना जिन्दगी बहुत ही डराती है
आंसू न बहा, अब चुप हो जा ‘मधु’
तेरे रोने से तो माँ बहुत घबराती है
-डॉ. मधुसूदन चौबे [२९-०४-१३] [२] [५१] [१८३]
१२९, ओल्ड हाऊसिंग बोर्ड कालोनी, बडवानी [म. प्र.]
मो. ७४८९०१२९६७
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज मंगलवार के "रेवडियाँ ले लो रेवडियाँ" (चर्चा मंच-1230) पर भी होगी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत खूब कहा |
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
बहुत सुंदर प्रस्तुति......
ReplyDeleteआभार रंजना जी
Deleteबहुत सुन्दर प्रसूति !
ReplyDeleteडैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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बहुत ही सुन्दर प्रस्तुतीकरण,आभार.
ReplyDeletewaaaah waaaah bhot khub
ReplyDeletema ik yad kabhi jati nahi bahut sundar .....
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