नख से शिख तक भई सिंदूरी
लाजवंती सी नार
आयेगे वो आय रहे है
सुनकर हुई गुलनार !
आवन को संदेशो ऐसो
सुर छेड़े मन माही
सरगम की सी सांसै है गई
कानो में धड़कन पड़े सुनाई !
नयन मूँद निरखे मन माही
लब स्मित मुस्कान सजे
ऐसे मै गर आये साजन
कैसे किसको होश रहे !
सात हाथ का घूँघट ओढ़ा
उस पर लाल चुनरिया
शर्म से लाल रुखसार हो गये
लालम लाल बहुरिया !
- डॉ. इन्दिरा गुप्ता ✍
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteदुल्हन के मन को दर्शाती
श्रृंगार में डूबी भावपूर्ण रचना
आभार भावोकी सराहना के लिये
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteआभार
Deleteसादर आभार 🙏
ReplyDeletethanx 🙏
ReplyDeleteबहुत सुंदर पंक्तियां
ReplyDeleteअत्यंत रोचक नववर्ष मंगलमय हो
ReplyDeleteबहुत सुंदर
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