स्नेह के पंखो पर सवार
फूलों की रेशमी छुवन लिये
महकती महकाती
छोटी छोटी रातें.
फूलों की वासंती बहार
सहेजे कितना प्यार
मन को दुलराती
छोटी छोटी सौगातें.
हरित भूमि पर
दूब थी मखमली
मरुस्थल में फुहारें
तुम्हारे नेह की बातें.
सतरंगी तूलिका,गोधूलि बेला
ऑंखों में भर कर चाहत के रंग
देह बन गई चंदन
हो गई कस्तूरी सांसें.
-----उर्मिला जैन 'प्रिया'
फूलों की रेशमी छुवन लिये
महकती महकाती
छोटी छोटी रातें.
फूलों की वासंती बहार
सहेजे कितना प्यार
मन को दुलराती
छोटी छोटी सौगातें.
हरित भूमि पर
दूब थी मखमली
मरुस्थल में फुहारें
तुम्हारे नेह की बातें.
सतरंगी तूलिका,गोधूलि बेला
ऑंखों में भर कर चाहत के रंग
देह बन गई चंदन
हो गई कस्तूरी सांसें.
-----उर्मिला जैन 'प्रिया'