मेरी धरोहर..चुनिन्दा रचनाओं का संग्रह
Sunday, December 3, 2017
शबनम की माला....कुसुम कोठारी
सुबह धुंध से
धोई सी
शबनम की माला
पोई सी
गजल अभी तक
सोई सी
आंख है क्यों कुछ
रोई सी
यादें यादों मे
खोई सी
गूंजी कानो मे
सरगोई सी
मन वीणा से
झंकृत हो
शब्दों की लड़ियां
संजोई सी ।
- कुसुम कोठारी
3 comments:
सुशील कुमार जोशी
December 3, 2017 at 9:17 AM
वाह
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मन की वीणा
December 3, 2017 at 8:16 PM
सादर आभार।
शुभ संध्या।
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मन की वीणा
December 3, 2017 at 8:17 PM
जी सादर आभार।
शुभ संध्या।
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वाह
ReplyDeleteसादर आभार।
Deleteशुभ संध्या।
जी सादर आभार।
ReplyDeleteशुभ संध्या।