Monday, March 26, 2012

कांपते लब , आँख नम , कहा मुस्कुराकर 'अलविदा' ........सचिन अग्रवाल 'तन्हा'

तजरुबा जो ज़िन्दगी का याद था वो लिख दिया
ज़ेहन ओ दिल में कुछ जमा 'अवसाद' था वो लिख दिया ..........

कांपते लब , आँख नम , कहा मुस्कुराकर 'अलविदा'
एक लम्हा जो बहुत बर्बाद था वो लिख दिया..........

कागजों पर कैसे कोई ज़िन्दगी लिखता भला
हाँ मगर जो कुछ तुम्हारे बाद था वो लिख दिया ..............

कम नज़र आती है अब पत्थर उठाने की उम्मीद
सीने में थोडा बहुत 'फौलाद' था , वो लिख दिया ......................

----------सचिन अग्रवाल 'तन्हा'


Friday, March 23, 2012

वो स्पर्श तुम छोड़ जाओगी..........रंजन मिश्र

क्या तुम मुझे भूल जाओगी ?
मैं वर्षो से नहीं मिला तुमसे ,
ना ही सालो से बात की ,
तो क्या तुम मुझे भूल जाओगी ?
वो नदी किनारे की रात ,
तेरे हाथो में मेरा हाथ ,
वो स्पर्श तुम छोड़ जाओगी ,
तो क्या तुम मुझे भूल जाओगी ?
ऐ हमसफ़र ! मैं तेरा साथ न दे पाया ,
तेरे आंचल को थाम न पाया ,
उन नजरो का जादू तोड़ जाओगी ,
तो क्या तुम मुझे भूल जाओगी ?
तेरी गली नहीं गया ,
तेरी यादो को वही छोड़ आया ,
तो तुम रिश्ता तोड़ जाओगी ,
क्या तुम मुझे भूल जाओगी ?
वो दरवाजा जो वापसी का था ,
मैं उस पर ताला जड़ आया ,
तो तुम मुझसे मुंह मोड़ लोगी ,
क्या तुम मुझे भूल जाओगी ?

----- रंजन मिश्र

Tuesday, March 20, 2012

इश्क़ में इल्ज़ाम उठाने ज़रूरी हैं............हेमज्योत्सना 'दीप'

सफ़र के बाद अफ़साने ज़रूरी हैं
ना भूल पाए वो दीवाने ज़रूरी हैं

जिन आँखों में हँसी का धोखा हो
उनके मोती चुराने ज़रूरी हैं

माना के तबाह किया उसने मुझे,
मगर रिश्ते निभाने ज़रूरी हैं

ज़ख़्म दिल के नासूर ना बन जाए
मरहम इन पर लगाने ज़रूरी हैं

माना वो ज़िंदगी हैं मेरी लेकिन,
पर दूर रहने के बहाने ज़रूरी हैं

इश्क़ बंदगी भी हो जाए, कम हैं,
इश्क़ में इल्ज़ाम उठाने ज़रूरी हैं

महफ़िल में रंग ज़माने के लिए,
दर्द के गीत गुनगुनाने ज़रूरी है

रात रोशन हुई जिनसे सारी,
सुबह वो 'दीप' बुझाने ज़रूरी हैं।

--------हेमज्योत्सना 'दीप'