साल 2015 की
पहली सुबह की
पहली किरण
हमारे दरवाजे पर
दस्तक देने को
बेकरार है
और....हम भी
इसके स्वागत में
पूरे जोश के साथ
तैय्यार हैं
पर क्या सिर्फ
ज़श्न मना लेना और
मस्ती में झूम लेना ही
इन नए पलों का स्वागत है ?
शायद नहीं.
साल दर साल
हम यही तो करते आ रहे हैं,
इस बार कुछ ऐसा करते हैं
कि इस साल का हर पल
ज़िन्दामिसाल बन जाए.
अमन की राह पर चलें.
कुछ इस तरह जियें
और जीने दें कि
आने वाला साल
खुद प्यार की सौगात बन जाए.
-आफ़ताब बेगम
कलमकार....नवभारत