दो पल की जिंदगी
मुझे कोई उधार दे दे
पतझड़ सी जिंदगी मे
थोडी बहार दे दे।
आने को कोई कह दे
बेचैन-सी मै हो लूं
वो आए या न आए
पर इंतजार दे दे ।
जीने पर चाहूं मरना
मरने पर चाहूं जीना
इस बेकरार दिल को
कोई करार दे दे ।
नाजुक ये नब्ज आंखें
अब बंद होने को है
अर्थी उठाने ही को
दो दो कहार ले ले ।
-अवधेश प्रसाद
बहुत बहुत सुंदर रचना👌
ReplyDeleteव्यथित मन की छोटी छोटी अभिलाषाऐं जैसे एक मुठ्ठी आसमान तो सबका हक बनता है।
ReplyDeleteसुंदर रचना।
अति मार्मिक रचना ...
ReplyDeleteअर्थी उठाने को कहार देदो ....
कितनी व्यथा भरी शब्दो मै
आस संग निराश भरी
असमँजस मै दिल है कोमल
जब जो हो जाये सही !
बहुत बढ़ीया।
ReplyDeleteलाजवाब रचना....
ReplyDeleteBahut sundar!!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
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