Friday, December 15, 2017

दो पल की जिंदगी......अवधेश प्रसाद

दो पल की जिंदगी
मुझे कोई उधार दे दे 
पतझड़ सी जिंदगी मे
थोडी बहार दे दे।
आने को कोई कह दे 
बेचैन-सी मै हो लूं 
वो आए या न आए
पर इंतजार दे दे ।
जीने पर चाहूं मरना
मरने पर चाहूं जीना
इस बेकरार दिल को
कोई करार दे दे ।
नाजुक ये नब्ज आंखें 
अब बंद होने को है
अर्थी उठाने ही को 
दो दो कहार ले ले ।
-अवधेश प्रसाद

7 comments:

  1. बहुत बहुत सुंदर रचना👌

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  2. व्यथित मन की छोटी छोटी अभिलाषाऐं जैसे एक मुठ्ठी आसमान तो सबका हक बनता है।
    सुंदर रचना।

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  3. अति मार्मिक रचना ...
    अर्थी उठाने को कहार देदो ....
    कितनी व्यथा भरी शब्दो मै
    आस संग निराश भरी
    असमँजस मै दिल है कोमल
    जब जो हो जाये सही !

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