Friday, November 1, 2019

बहती जा ...सरिता सागर

दुःख - दर्द की इन लहरों के बीच
डूबती तैरती मैं
कुछ पल जीने की
कोशिश कर लेती हूँ
जीवन का मतलब ही बहना है
और फिर मैं तो सरिता हूँ

शिकायतों के पिटारे ना खोल
मुसीबतों के पहाड़ ना बना
दुख बयाँ ना कर
बस बहती जा

दर्द ना बांट किसी से
अपने ज़ख़्म ना दिखा
इन आहों को दबा
ये आँसू ना बहा
बस बहती जा .

-सरिता सागर

4 comments:

  1. मैंने अभी आपका ब्लॉग पढ़ा है, यह बहुत ही शानदार है।
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  2. बहुत सुंदर सखी,
    धरती का धैर्य रख
    जो अंकुर को प्रस्फूटित
    करने स्वयं का सीना चीर दे
    आंसुओं पर पहरे रख
    ये यूं ना बहा कि
    नूर ही को दे ।

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  3. वाह बहुत सुन्दर सृजन

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