दर्दे दिल की अजब कहानी है
होंठों पर मुस्कां आँखों में पानी है
जिनकी ख़्वाहिश में गुमगश्ता हुये
उस राजा की कोई और रानी है
रात कटती है यूँ रोते च़रागों की
ज्यों बाती ने ख़ुदकुशी की ठानी है
दर्द,ग़म,तड़प,अश्क और रूसवाई,
इश्क़ ने जहाँभर की खाक़ छानी है
बेहया दिल टूटकर भी धड़कता है
ज़िंदा लाशों की ये तो बदज़ुबानी है
-श्वेता सिन्हा
गुमगश्ता= भटकता हुआ, खोया हुआ
बहुत सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 22 नवम्बर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteसुन्दर.
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