जल रहे गीता कुरान भी ...
साम्प्रदायिकता की आग में ।
वहशत नग्न नाच रही ...
शस्त्र लिए हाथ में ।
आत्मा ही मर गई जिनकी ।
मानवता को कुचल उनकी ।
यही आतंकवाद है ...
क्या यही जेहाद है...?
प्रश्न लाचार खड़ा..मौन क्यूँ ?
जब तडफ रही ...हर तरफ ।
हर दिल ...हर आँख है ।।
-अलका गुप्ता
वाह! सुंदर!!
ReplyDeleteसुन्दर।
ReplyDeleteहार्दिक आभार जो इन भावों के मर्म आप को छू सके आदरणीय साथियों !!!
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय यशोदा जी आपने मेरी रचना को मान दिया !सादर वंदे !
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (04-06-2017) को
ReplyDelete"प्रश्न खड़ा लाचार" (चर्चा अंक-2640)
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
हार्दिक आभार आदरणीय !🙏
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