चुप..........भास्कर चौधुरी
पिता के पिता ने कहा
पिता से
चोप्प
दुबक गए पिता
किताबों की अलमारी के पीछे
पिता ने मुझसे कहा
चुप
मैंने दरवाजा खोला
बाहर निकल गया घर से
और बाहर ही रहा
खाने के वक्त तक
घूमता रहा इधर-उधर
बेमतलब
मैंने बेटी से कहा
चुप्प
उसने पलट कर जवाब दिया !!
-भास्कर चौधुरी
बढ़िया। 1000वीं प्रस्तुति के लिये अग्रिम शुभकामनाएं।
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरूवार (22-06-2017) को
ReplyDelete"योग से जुड़ रही है दुनिया" (चर्चा अंक-2648)
पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक