Wednesday, August 22, 2018

रोमानियत भरी किताब है आँखों में...श्वेता सिन्हा

मुस्कुराता हुआ ख़्वाब है आँखों में
महकता हुआ गुलाब है आँखों में

बूँद-बूँद उतर रहा है मन आँगन
एक कतरा माहताब  है आँखों में

उनकी बातें,उनका ही ख़्याल बस
रोमानियत भरी किताब है आँखों में

जिसे पीकर भी समन्दर प्यासा है
छलकता दरिया-ए-आब है आँखों में

लम्हा-लम्हा बढ़ती बेताबी दिल की
ख़ुमारियों का सैलाब है आँखों में

लफ़्जों की सीढ़ी से दिल में दाख़िल
अनकहे सवालों के जवाब है आँखों में

#श्वेता

15 comments:

  1. शुभ प्रभात सखी
    बेहतरीन ग़ज़ल
    सादर

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  2. वाह!!श्वेता ,बहुत सुंदर !!

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  3. वाहह!!बेहतरीन गजल..
    बहुत सुंदर आँखें और उनसे ज्ज़बात ..श्वेता जी।

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  4. जिसे पीकर भी समन्दर प्यासा है
    छलकता दरिया-ए-आब है आँखों में....खूबसूरत खुमारी! वाह!!!

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  5. उनकी बातें,उनका ही ख़्याल बस
    रोमानियत भरी किताब है आँखों में

    मंच लूटने वाली ग़ज़ल। बहुत ही खूबसूरत। लाज़वाब श्वेता जी।

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  6. वाह बेहतरीन ....प्रिय श्वेता
    आँखें तब ही आँखें है
    जब ख्वाब रहे देखें संभले
    तन्हाई हो या रौनके बजार
    उन आंखों में रोशनाई हो !
    नमन

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  7. वाह बहुत सुंदर !!
    आंखों में क्या क्या नही है जमाने की सारी शय आंखों में हैं
    ना देखों तो कुछ नही वर्ना दिल तक जाने का सेतू आंखों में है।
    हमने देखी है इन आंखों की महकती खुशबू ...

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  8. वाह ...
    हर शेर कमाल का है ... आँखों का कमाल हर शेर बोल रहा है ...
    ग़ज़ब रचना ...

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  9. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 23.8.2018 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3072 में दिया जाएगा

    धन्यवाद

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  10. ऑंखें कितना कुछ न बोलते हुए भी बोल जाती हैं
    बहुत सुन्दर रचना

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  11. Such a great line we are Online publisher India invite all author to publish book with us

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  12. बहुत सुन्दर रचना ...बहुत खूब 👌👌👌

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