Saturday, August 18, 2018

शेरो-सुख़न तक ले चलो...अदम गोंडवी


भूख के एहसास को शेरो-सुख़न तक ले चलो 
या अदब को मुफ़लिसों की अंजुमन तक ले चलो

जो ग़ज़ल माशूक के जलवों से वाक़िफ़ हो गई 
उसको अब बेवा के माथे की शिकन तक ले चलो

मुझको नज़्मो-ज़ब्‍त की तालीम देना बाद में 
पहले अपनी रहबरी को आचरन तक ले चलो

गंगाजल अब बुर्जुआ तहज़ीब की पहचान है 
तिश्नगी को वोदका के आचरन तक ले चलो

ख़ुद को ज़ख्मी कर रहे हैं ग़ैर के धोखे में लोग 
इस शहर को रोशनी के बाँकपन तक ले चलो
-अदम गोंडवी 

5 comments:

  1. जो ग़ज़ल माशूक के जलवों से वाक़िफ़ हो गई
    उसको अब बेवा के माथे की शिकन तक ले चलो

    वाह बहुत ही सुन्दर ...
    गोंडवी साहब की तो बात ही अलग हैं

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  2. 👏👏👏👏👏वाह बहुत खूब बानगी ...

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  3. बहुत सुंदर 👏👏👏

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  4. अदम गोंडवी साब की सादगी और बेबाक़ी उनका साधारण लहज़ा

    हमें उनकी नज्मों ओर गजलों में देखने को मिलता है जो आपकी हमारी और सभी के मन की बात होती है।

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