दरवाजे की चौखट पर
राह तकती, वो दो आंखे,
मन में आंशकाओं के उठते हुये बवंडर,
दिल मायूसी में डूबा, जैसे कोई खंडहर।
किसी भी अनहोनी को
कर अस्वीकार,
दिमाग जा पहुंचा संभावनाओं के द्वार।
वो हर एक पल का अब जीना मरना,
कब आयेगा
उसका वो अपना... ???
दरवाजे की चौखट पर
राह तकती, वो दो पुतलियां,
जो भीगी हैं, अहसासों की बारिश से,
जो जाग रही हैं, ममता की ख्वाहिश से।
अकुलाहट में अपनी
पलक पावड़े बिछाए ,
प्रतीक्षा की हर आहट पर देवी-देवता मनाए।
असमंजस के क्षण-क्षण को
गिनता वक्त होगा,
जाने किस हाल में उसका लाड़ला होगा ???
दरवाजे की चौखट पर
राह तकती,
वो दो मासूम नजरें,
वो तुतलाती-सी बोली, भाव नयन में थमे-थमे से,
वो सीने से उठता ज्वार, खड़े पांव जमे-जमे से।
छाया देता कल्पवृक्ष,
गोदी का आश्वासित बचपन,
जीवट था उसका नायक,
सवाल पूछता भोला मन।
उसके कंधों पर चढ़कर, चांद को छूने जाना है,
बता दे मेरी मां, मेरे जीवनदाता को कब आना है ???
दरवाजे की चौखट पर
राह तकती, वो दो निगाहें,
अपनी सिलवटों का दर्द बयां कर रही है,
हर लम्हा पदचाप की सुधियां तलाश रही हैं।
कलेजा हथेली पर, सांसे घूमी-फिरी सी,
तारीखें मौन पसराए,आशाओं में झुरझुरी सी।
सूखे आंसू और दिलहाहाकार कर रोता है,
जब तिरगें में लिपटा,
किसी जवान का जनाजा होता है !!!
-निशा माथुर
कलेजा हथेली पर, सांसे घूमी-फिरी सी,
ReplyDeleteतारीखें मौन पसराए,आशाओं में झुरझुरी सी।
सूखे आंसू और दिलहाहाकार कर रोता है,
जब तिरगें में लिपटा,
किसी जवान का जनाजा होता है !!!
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति।
उसके कंधों पर चढ़कर, चांद को छूने जाना है,
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर
हम अपने गाओं अपने शहर को छोड़ ज़िंदगी की तलाश मैं अपने अपनों से दूर चले जाते हैं .मगर पता नहीं रहता कब आएंगे वापस...
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (08-08-2018) को "सावन का सुहाना मौसम" (चर्चा अंक-3057) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
कलेजा हथेली पर, सांसे घूमी-फिरी सी,
ReplyDeleteतारीखें मौन पसराए,आशाओं में झुरझुरी सी।
सूखे आंसू और दिलहाहाकार कर रोता है,
जब तिरगें में लिपटा,
किसी जवान का जनाजा होता है !!! हृदयस्पर्शी रचना
बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteअत्यंत मर्मस्पर्शी
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