चाँद
चुपके से
खिड़की के रास्ते
कमरे में
रोज आता है
लड़की
अपने करीब आता देख
मुस्कुराती है
देखती है देर तक
छू लेती है
मन ही मन उसे
चाँद
लड़की से कुछ कहने का
साहस नहीं जुटा पाता
लड़की
संकोच की जमीन पर
चुपचाप बैठी रहती है
चाँद और लड़की
युगों युगों से
ऐसे ही मिलते हैं
खिड़की के रास्ते
प्रेम
ऐसा ही खूबसूरत होता है
-"ज्योति खरे "
चुपके से
खिड़की के रास्ते
कमरे में
रोज आता है
लड़की
अपने करीब आता देख
मुस्कुराती है
देखती है देर तक
छू लेती है
मन ही मन उसे
चाँद
लड़की से कुछ कहने का
साहस नहीं जुटा पाता
लड़की
संकोच की जमीन पर
चुपचाप बैठी रहती है
चाँद और लड़की
युगों युगों से
ऐसे ही मिलते हैं
खिड़की के रास्ते
प्रेम
ऐसा ही खूबसूरत होता है
-"ज्योति खरे "
संकोच की जमीन पर
ReplyDeleteचुपचाप बैठी रहती है
चाँद और लड़की
युगों युगों से
ऐसे ही मिलते हैं
खिड़की के रास्ते
मानवीय कर्ण अलंकार से ओतप्रोत सुंदर रचना। बधाई एवं शुभकामनाएँ। सादर।
सुन्दर रचना
ReplyDeleteसुन्दर भावपूर्ण रचना
ReplyDeleteलाजवाब।
ReplyDeleteमन्त्रमुग्ध करती रचना - - सुन्दर सृजन।
ReplyDeleteमनोरम दृश्य का आभास कराती मनोहारी कृति..
ReplyDeleteसुन्दर,मनोरम रचना।
ReplyDeleteसादर।
प्रेम की सुंदर बानगी
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