Wednesday, May 22, 2019

शब्द ....श्वेता सिन्हा

मौन हृदय के आसमान पर
जब भावों के उड़ते पाखी,
चुगते एक-एक मोती मन का 
फिर कूजते बनकर शब्द।

कहने को तो कुछ भी कह लो
न कहना जो दिल को दुखाय,
शब्द ही मान है,शब्द अपमान
चाँदनी,धूप और छाँव सरीखे शब्द।

न कथ्य, न गीत और हँसी निशब्द
रूंधे कंठ प्रिय को न कह पाये मीत,
पीकर हृदय की वेदना मन ही मन 
झकझोर दे संकेत में बहते शब्द।

कहने वाले तो कह जाते है 
रहते उलझे मन के धागों से,
कभी टीसते कभी मोहते 
साथ न छोड़े बोले-अबोले शब्द।

फूल और काँटे,हृदय भी बाँटे
हीरक,मोती,मानिक,माटी,धूल,
कौन है सस्ता,कौन है मँहगा
मानुष की कीमत बतलाते शब्द।

-श्वेता सिन्हा

12 comments:

  1. " मौन हृदय के आसमान पर , जब भावों के उड़ते पाखी " बहुत ही संवेदनशील बिम्ब ...

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  2. कौन है सस्ता कौन है महंगा बतलाते शब्द
    सही कहा स्वेता जी इन्सान के बोल खोल देते हैं उसकी पोल सुंदर प्रस्तुति

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  3. वाह बहुत सुन्दर रचना।

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  4. बेहतरीन रचना 👌👌

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  5. बेहतरीन रचना स्वेता जी

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  6. , बहुत सुंदर रचना

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  7. फूल और काँटे,हृदय भी बाँटे
    हीरक,मोती,मानिक,माटी,धूल,
    कौन है सस्ता,कौन है मँहगा
    मानुष की कीमत बतलाते शब्द।

    बहुत प्यारी रचना....

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  8. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 23-05-19 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3344 में दिया जाएगा

    धन्यवाद

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  9. वाह!!श्वेता ,बहुत खूबसूरत सृजन !

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  10. बेहतरीन रचना श्वेता जी

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  11. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (24-05-2019) को "आम होती बदजुबानी मुल्क में" (चर्चा अंक- 3345) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  12. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन पक्ष-विपक्ष दोनों के लिए राजनीति का नया दौर शुरू - ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

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