Thursday, May 30, 2019

दोस्त है कि दुश्मन वो मेरा पुराना.....प्रीती श्रीवास्तव

अभी हाल दिल का सुनाया नही है।
किसी को जख्म ये दिखाया नही है।

मेरे इश्क का है ऐसा असर दिलबर।
उसने अब तलक मुझे भुलाया नही है।।

मुहब्बत में किये कई वादे उसने।
मगर उनको रहबर निभाया नही है

बयां क्या करें उन गुनाहों को हरपल।
जहां में ऐसा सनम पाया नही है।

दोस्त है कि दुश्मन वो मेरा पुराना।
ये मेरे आज भी समझ आया नही है।

लुत्फ़ हम उठायें ऐसे कैसे दिलबर।
सफर में मिला कोई भाया नही है।।

कयामत न आ जाये इक रोज देखना।
मेरा चांद घर मेरे आया नही है।।
-प्रीती श्रीवास्तव

4 comments:

  1. मन से निकली हुयी रचना मन तक जाती है

    ReplyDelete
  2. दोस्त है कि दुश्मन वो मेरा पुराना।
    ये मेरे आज भी समझ आया नही है।

    समझना तो पडेगा ही ... बहुत सुंदर

    ReplyDelete
  3. मेरे इश्क का है ऐसा असर दिलबर।
    उसने अब तलक मुझे भुलाया नही है।बेहतरीन !

    ReplyDelete