मौन हृदय के आसमान पर
जब भावों के उड़ते पाखी,
चुगते एक-एक मोती मन का
फिर कूजते बनकर शब्द।
कहने को तो कुछ भी कह लो
न कहना जो दिल को दुखाय,
शब्द ही मान है,शब्द अपमान
चाँदनी,धूप और छाँव सरीखे शब्द।
न कथ्य, न गीत और हँसी निशब्द
रूंधे कंठ प्रिय को न कह पाये मीत,
पीकर हृदय की वेदना मन ही मन
झकझोर दे संकेत में बहते शब्द।
कहने वाले तो कह जाते है
रहते उलझे मन के धागों से,
कभी टीसते कभी मोहते
साथ न छोड़े बोले-अबोले शब्द।
फूल और काँटे,हृदय भी बाँटे
हीरक,मोती,मानिक,माटी,धूल,
कौन है सस्ता,कौन है मँहगा
मानुष की कीमत बतलाते शब्द।
-श्वेता सिन्हा
" मौन हृदय के आसमान पर , जब भावों के उड़ते पाखी " बहुत ही संवेदनशील बिम्ब ...
ReplyDeleteकौन है सस्ता कौन है महंगा बतलाते शब्द
ReplyDeleteसही कहा स्वेता जी इन्सान के बोल खोल देते हैं उसकी पोल सुंदर प्रस्तुति
वाह बहुत सुन्दर रचना।
ReplyDeleteबेहतरीन रचना 👌👌
ReplyDeleteबेहतरीन रचना स्वेता जी
ReplyDelete, बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteफूल और काँटे,हृदय भी बाँटे
ReplyDeleteहीरक,मोती,मानिक,माटी,धूल,
कौन है सस्ता,कौन है मँहगा
मानुष की कीमत बतलाते शब्द।
बहुत प्यारी रचना....
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 23-05-19 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3344 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
वाह!!श्वेता ,बहुत खूबसूरत सृजन !
ReplyDeleteबेहतरीन रचना श्वेता जी
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (24-05-2019) को "आम होती बदजुबानी मुल्क में" (चर्चा अंक- 3345) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन पक्ष-विपक्ष दोनों के लिए राजनीति का नया दौर शुरू - ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
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