माँ का ध्यान हृदय सदा
शान्ति सुधा बरसाती
मलयानिल श्वासों में घुल
हिया सुरभित कर जाती
मौन मगन दैदीप्त पुंज
मन भाव विह्वल खो जाता
प्लावित भावुक धारा का
अस्तित्व विलय हो जाता
आतपत्र आशीष वलय
रक्षित जीवन शूल,प्रलय
वरद-हस्त आशंकाओं से
शुद्ध आत्मा मुक्त निलय
आँचल छाँह वात्सल्यमयी
भय-दुःख, मद-मोह, मुक्त
अनुभूति,निर्मल निष्काम
शुभ्र पलछिन रसयुक्त
चक्षु दिव्य तुम ज्ञान गूढ़ का
जीवन पथ माँ भूल-भूलैय्या
लहर-लहर में भँवर जाल
भव सागर पार करा दे नैय्या
यश दिगंत न विश्वविजय
माँँ गोद मात्र वात्सल्य अटूट
जग बंधन से करो मुक्त अब
पी अकुलाये जी कालकूट
सुन्दर प्रार्थना !
ReplyDeleteदेवी माँ की मनमोहक प्रार्थना ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteभाव भरी वंदना स्तुति आनंद विहल कर गई।
ReplyDeleteनमन मां भवानी।
बहुत ही भावपूर्ण स्तुति मातारानी की....
ReplyDeleteबढ़िया है पोस्ट
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