प्रार्थना का वक्त
यह प्रार्थना का वक्त है
एक सात्विक अहसास के साथ
हाथ जोड़कर खड़े हो जाओ
एक कतार में।
सभ्यताएं अपने तयशुदा हिस्सों को
एक-एक कर छोड़ती जा रही
बरसों पुरानी स्थापित इमारतें
दरक रही है अपनी नींव से
धीरे-धीरे।
पिछले हफ्ते के
सबसे अमीर आदमी को पछाड़कर
पहली संख्या पर जा विराजा है कोई
अभी-अभी।
नंगे पांवो को कहीं जगह नहीं है
और कीमती जूते सारी जगह को
घेरते चले जा रहे हैं।
अंधेरे को परे धकेल कर
रोशनी आई है सज संवरकर
आज सुबह ही उससे दोस्ती करने को
लालायित हैं कई दोस्त अपने भी
वाकई यही प्रार्थना का
सही वक्त है
-विपिन चौधरी
vipin.choudhary7@gmail.com
यह प्रार्थना का वक्त है
एक सात्विक अहसास के साथ
हाथ जोड़कर खड़े हो जाओ
एक कतार में।
सभ्यताएं अपने तयशुदा हिस्सों को
एक-एक कर छोड़ती जा रही
बरसों पुरानी स्थापित इमारतें
दरक रही है अपनी नींव से
धीरे-धीरे।
पिछले हफ्ते के
सबसे अमीर आदमी को पछाड़कर
पहली संख्या पर जा विराजा है कोई
अभी-अभी।
नंगे पांवो को कहीं जगह नहीं है
और कीमती जूते सारी जगह को
घेरते चले जा रहे हैं।
अंधेरे को परे धकेल कर
रोशनी आई है सज संवरकर
आज सुबह ही उससे दोस्ती करने को
लालायित हैं कई दोस्त अपने भी
वाकई यही प्रार्थना का
सही वक्त है
-विपिन चौधरी
vipin.choudhary7@gmail.com
विपिन चौधरीः
२ अप्रैल १९७६, भिवानी (हरियाणा),खरकड़ी- माखवान गाँव
बी. एससी., एम. ए.(लोक प्रकाशन)
हरियाणा के भिवानी जिले के एक गाँव
जन्मी विपिन जी की कविताएं सहजता के साथ खुलती है
२ अप्रैल १९७६, भिवानी (हरियाणा),खरकड़ी- माखवान गाँव
बी. एससी., एम. ए.(लोक प्रकाशन)
हरियाणा के भिवानी जिले के एक गाँव
जन्मी विपिन जी की कविताएं सहजता के साथ खुलती है
रचना प्राप्तः तरंग, नई दुनियां
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवार के - चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteजय हो प्रभू।
ReplyDeleteutkrist rachna...
ReplyDeleteप्रार्थना का वक्त तो हमेशा है।
ReplyDeleteजरूरत पड़ने पर प्रार्थना
यह तो व्यापार हो गया
इस संसार के रचयिता को
शीश झुकाने का वक्त
अभी है और हमेशा है
बहुत बढ़िया...
ReplyDeletebahut umda rachna
ReplyDeletebeautifuly written
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