नारी जाति के सम्मान में अन्सार भाईजान की ये ग़ज़ल
आँख का काजल तुम्हारे पास है,
पाँव की पायल तुम्हारे पास है !
माँ की ममता बाँटने के वास्ते,
प्यार का आँचल तुम्हारे पास है !
बाँध कर धागा किसी के हाथ में,
भाई का सम्बल तुम्हारे पास है !
मातृ भाषा बोलता है हर कोई,
आने वाला कल तुम्हारे पास है !
सुख में, दुख में आचमन के वास्ते,
नेह गंगा जल तुम्हारे पास है !
इस समय की, उस समय की बात क्या,
हर सदी का पल तुम्हारे पास है !
जन्म लेते वीर तेरी कोख से,
ऐसा बाहु-बल तुम्हारे पास है !
खिलखिलाते फूल ये किलकारियाँ,
ज़िन्दगी का फल तुम्हारे पास है !
पाँव की पायल तुम्हारे पास है !
माँ की ममता बाँटने के वास्ते,
प्यार का आँचल तुम्हारे पास है !
बाँध कर धागा किसी के हाथ में,
भाई का सम्बल तुम्हारे पास है !
मातृ भाषा बोलता है हर कोई,
आने वाला कल तुम्हारे पास है !
सुख में, दुख में आचमन के वास्ते,
नेह गंगा जल तुम्हारे पास है !
इस समय की, उस समय की बात क्या,
हर सदी का पल तुम्हारे पास है !
जन्म लेते वीर तेरी कोख से,
ऐसा बाहु-बल तुम्हारे पास है !
खिलखिलाते फूल ये किलकारियाँ,
ज़िन्दगी का फल तुम्हारे पास है !
-अन्सार कम्बरी
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी का लिंक कल मंगलवार (13-08-2013) को "टोपी रे टोपी तेरा रंग कैसा ..." (चर्चा मंच-अंकः1236) पर भी होगा!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुंदर एचना साझा करने के लिए,,आभार ,,,
ReplyDeleteRECENT POST : जिन्दगी.
सब कुछ मेरे पास है
ReplyDeleteइसलिए तो
धरा की शक्ति मेरी जैसी है
गगन का विस्तार मेरे जैसा है
समुंदर की गहराई मेरी जैसी है
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचना अभिव्यक्ति .... आभार
ReplyDeleteबहुत
ReplyDeleteबढ़िया रचना
बहुत सुंदर लिखा है
ReplyDelete