उड़ जा, उड़ जा,
खुल जा, खुल जा,
नए पंख तू लगा,
उड़ जा उस जहान में,
जहां मंजिल करे तेरा इंतजार,
नए रंग तू सजा,
नये जहान में तू जा,
अब रोक ना पाए कोई तुझे,
जा नई दुनिया तू सजा,
जहां तेरा मान हो सम्मान हो,
तेरी अपनी एक पहचान हो,
उड़ जा, उड़ जा,
भर सपनों में नई दिशा,
ऊर्जावान हो,शक्तिवान हो,
निर्भय और निर्विकार हो,
कलि से फूल बनकर,
नए रास्तों को चुन,
रख नींव एक नए जहान की,
जहां सर उठाकर पड़े तेरा हर कदम,
उड़ जा, उड़ जा,
भर सपनों में नई दिशा,
खुल जा. .. खुल जा,
नए पंख तू सजा,
अब अपमान बहुत है सह लिया,
भर ऊर्जा आत्मविश्वास की,
मेरी नन्ही परी धर नया अवतार,
बनकर दैवी शक्ति रूप,
पटक कदमों में सारे असुरों को,
सभी को नई राह तू दिखा,
यही है इस मां की अभिलाषा,
उड़ जा, उड़ जा,
भर सपनों में नई दिशा,
खुल जा, खुल जा,
नई रोशनी तू जला
नए पंख तू लगा....
- रेखा भाटिया
Bahut Sunder Kavita
ReplyDeleteउड़ जा, उड़ जा,
ReplyDeleteभर सपनों में नई दिशा,
ऊर्जावान हो,शक्तिवान हो,
निर्भय और निर्विकार हो..
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aisa hi ho...
नवरात्रों की बहुत बहुत शुभकामनाये
ReplyDeleteआपके ब्लाग पर बहुत दिनों के बाद आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ
बहुत खूब
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
मेरी मांग
umda, kas kuch aisa hi......
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि क़ी चर्चा सोमवार [15.4.2013]के चर्चामंच1215 पर लिंक क़ी गई है,अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए पधारे आपका स्वागत है | सूचनार्थ..
उड़ जा, उड़ जा,
ReplyDeleteभर सपनों में नई दिशा,
खुल जा, खुल जा,
नई रोशनी तू जला
नए पंख तू लगा....
वाह जीवन जीने की ललक को
पैदा करती कविता,
भावपूर्ण
उत्कृष्ट प्रस्तुति
माँ की अभिलाषा को बेहद सुन्दर शब्दों में पिरोया है रेखा जी ने। इस आशावादी और प्रेरणादाई प्रस्तुति के लिये शुक्रिया और बधाई
ReplyDeleteनरेन्द्र गुप्ता
www.mainarendra.blogspot.com
हर माँ की अभिलाषा को शब्द दिए हैं इस रचना के माध्यम से बहुत बढ़िया हार्दिक बधाई
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