ज़रूरी है किनारा कर लो अब इस बदगुमानी से
ये वो लपटें नहीं बुझ जाया करती हैं जो पानी से .........
मुहब्बत, बेवफाई, मयकशी, तन्हाई, रुसवाई
बहुत आसान लगता था निपट लेना जवानी से ..............
...
कहाँ से लाऊं मैं सोने की चिड़िया, दूध की नदियाँ
कि अब बच्चे बहलते ही नहीं किस्से कहानी से.............
अब उसके वास्ते सहराओं में कोई जगह ढूंढो
वो एक बूढा जो आजिज़ आ गया है बागबानी से ...................
दिया,जुगनू,सितारे,चाँद,सब मिलकर बहुत रोये
उजालों का जो हमने जिक्र छेड़ा रातरानी से ..........
"चिरागों जैसा घर रौशन है बेटों से" ये एक जुमला
वो सुनती आई है दादी से,माँ से और नानी से ...........
अब अपने आप से कुछ इस क़दर डरने लगे हैं हम
कि जैसे बेवा कोई डरती है सिन्दूरदानी से ...............
-सचिन अग्रवाल "तन्हा"
ये वो लपटें नहीं बुझ जाया करती हैं जो पानी से .........
मुहब्बत, बेवफाई, मयकशी, तन्हाई, रुसवाई
बहुत आसान लगता था निपट लेना जवानी से ..............
...
कहाँ से लाऊं मैं सोने की चिड़िया, दूध की नदियाँ
कि अब बच्चे बहलते ही नहीं किस्से कहानी से.............
अब उसके वास्ते सहराओं में कोई जगह ढूंढो
वो एक बूढा जो आजिज़ आ गया है बागबानी से ...................
दिया,जुगनू,सितारे,चाँद,सब मिलकर बहुत रोये
उजालों का जो हमने जिक्र छेड़ा रातरानी से ..........
"चिरागों जैसा घर रौशन है बेटों से" ये एक जुमला
वो सुनती आई है दादी से,माँ से और नानी से ...........
अब अपने आप से कुछ इस क़दर डरने लगे हैं हम
कि जैसे बेवा कोई डरती है सिन्दूरदानी से ...............
-सचिन अग्रवाल "तन्हा"
बहुत अच्छा लिखा है. रवानी बहुत उम्दा.
ReplyDeletewah wah kya khoob ,behad samvedanshil pradtuti
ReplyDeletebahut umda Rachna hai sachin bhai ki ... aabhar
ReplyDeletebahut umda abhivyakti hai -badhai
ReplyDeletelatest post तुम अनन्त
bhot khub waaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaah
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