जड़ में लगी हो घुन तो
पेड़ गिरकर ही रहेगा
नैतिकता से वंचित जीवन
जिस राह पर चलेगा
उस राह को वह
एक दिन तबाह ही करेगा
क्यों 'औसत नागरिक' का
जीवन हम नहीं स्वीकारते
क्यों अंधी दौड़ में हैं
चलते चले जाते
भौतिकता तो भटकाती ही रहेगी
मन को
सादगी से भरा 'जीवन आदर्श' ही
हमारा पथ प्रशस्त करेगा।
पेड़ गिरकर ही रहेगा
नैतिकता से वंचित जीवन
जिस राह पर चलेगा
उस राह को वह
एक दिन तबाह ही करेगा
क्यों 'औसत नागरिक' का
जीवन हम नहीं स्वीकारते
क्यों अंधी दौड़ में हैं
चलते चले जाते
भौतिकता तो भटकाती ही रहेगी
मन को
सादगी से भरा 'जीवन आदर्श' ही
हमारा पथ प्रशस्त करेगा।
- डॉ. माधवी सिंह
वाह ... बेहतरीन
ReplyDeleteशुक्रिया रविकर भाई
ReplyDeleteby any chance - does this post have anything to do with my blog ?
ReplyDeleteshilpa
शुक्रिया शिल्पा बहन
Deleteबहुत बेहतरीन सोच बेहतरीन कहन वाह
ReplyDeleteसार्थक सन्देश लिए हुए सुन्दर अभिव्यक्ति ..
ReplyDeleteसादर
मधुरेश
उत्कृष्ट रचना
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteबहुत अच्छी और सही बात आपने कितने साधारण तरीक़े से कह दी..!
ReplyDeleteकाश ! सब इतनी आसानी से समझ भी लेते !
~सादर !!!
बहुत ही अच्छी सोंच है..
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी रचना...
:-)
वाह खूबसूरत सोच
ReplyDeleteसुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।
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