अब तक आए न अब वो आएँगे, कोई सरगोशियों में कहता है
ख़ूगरे-इंतिज़ार आँखों को, फिर भी इक इंतिज़ार रहता है
धड़कनें दिल की रुक सी जाती हैं, गर्दिशे-वक़्त थम सी जाती है
बर्फ़ गिरने लगे जो यादों की, जिस्म में रूह जम सी जाती है
इक सरापा जमाल के दिल में, मोजज़न जज़्बाऎ मोहब्बत है
चेहरा-ए-कायनात पर इस वक़्त, अव्वलीं सुबहा की लताफ़त है
मुस्कुराकर वो जान-ए-मोसीक़ी, मुझसे दम भर जो बोल लेती है
मुद्दतों के लिए इक अमृत सा, मेरे कानों में घोल देती है
हर नज़र में हैं लाख नज़्ज़ारे, हर नज़ारा नज़र की जन्नत है
दो मोहब्बत भरे दिलों के लिए, ज़िन्दगी कितनी ख़ूबसूरत है
मुस्कुराती हुई निगाहों में, सरख़ुशी का चमन महकता है
तेरी इक इक अदा-ए-रंगीं से नश्शा-ए-दिलबरी टपकता है
मुद्दतों बाद फिर उसी धुन में, नग़मा-ए-शौक़ दिल ने गाया है
जानेजाँ! तेरे ख़ैरमक़दम को, गुमशुदा वक़्त लौट आया है
शायर - मख़मूर सईदी
दो मोहब्बत भरे दिलों के लिए, ज़िन्दगी कितनी ख़ूबसूरत है....
ReplyDeletewaah... maja aa gaya...
आभार भाई राहुल
Deleteबढ़िया प्रस्तुति |
ReplyDeleteआभार आदरणीय ||
शुक्रिया रविकर भाई
Deleteहर नज़र में लाख नज्ज़ारें, हर नज़ारा नजर की जन्नत है
ReplyDeleteदो मोहब्बत भरे दिलों के लिए, ज़िन्दगी कितनी खूबसूरत है
बहुत खूब !!
दिवाली की शुभकामनाएं !!
मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है
माँ नहीं है वो मेरी, पर माँ से कम नहीं है !!!
bahut hi sundar,man bhi,bhav bhiaur aap ke to poochne hi kya hai,marmsparshi
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