* शुलिका 1 *
घोटाले पर घोटाले
जब खुलते घोटाले
हर दल उसको टाले
सब के हाथ है काले
* शुलिका 2 *
महंगाई के बम फूटे
सरकार के बहाने झूटे
* शुलिका 3 *
हमारा माल
बेचे विदेशी मॉल
केसा बिछा रहे जाल
क्यों कर रहे हलाल
देश होगा कंगाल
जनता होगी बदहाल
* शुलिका 4 *
राजनीति का द्वन्द
धरना, प्रदर्शन, बंद
खुश होते है कुछ चंद
कितने चूल्हे रहते बंद
* शुलिका 5 *
घोटाले का बीज बोओ
भ्रष्टाचार से सींचो
रिश्वत के फल तोड़ो
ऐसे पेड़ पर लगते पैसे
*कौन कहता है ..पैसे पेड़...पर नही लगते ..............
संजय जोशी "सजग"
yatarth ki bahu -aayami prastuti
ReplyDeleteधन्यवाद दीदी
Deleteशुक्रिया प्रदीप भाई
ReplyDeleteयशोदा बहन जी ....आपका आभार और शुक्रिया ...आपने मेरी ..शूलिका को नया आयाम दिया ...:):):)
ReplyDeleteशुभ प्रभात संजय भाई
Deleteछा गई आपकी शूलिकाएँ
आप छः से दस की तैय्यारी कीजिये
सादर
bahut sunder likha aapne
ReplyDeleteदीदी....
Deleteमैंनें नहीं संजय भैय्या की रचना है ये
भावपूर्ण अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteधन्यवाद दीदी
Deleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति.......
ReplyDeleteयशोदा जी, पहली बार आपको पढ़ने का सौभाग्य मिला.. और पढ़कर बहुत अच्छा लगा ! :)
ReplyDeleteसंजय जोशी जी... बहुत बढ़िया प्रस्तुति !:)
सच ही तो है...कौन कहता है, पैसे पेड़ पर नहीं लगते...
~सादर !!!
शुक्रिया दीदी
Deleteअभी मैंने भाई संजय जी को कहा है
आप तो छा गए
शूलिका -6 से 10 की तैय्यारी करिये
आप सभी का आत्मीय धन्यवाद ......
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