Thursday, November 22, 2012

रेत पर महल कब तक टिकेगा?.................डॉ. माधवी सिंह

जड़ में लगी हो घुन तो
पेड़ गिरकर ही रहेगा

नैतिकता से वंचित जीवन
जिस राह पर चलेगा

उस राह को वह
एक दिन तबाह ही करेगा

क्यों 'औसत नागरिक' का
जीवन हम नहीं स्वीकारते

क्यों अंधी दौड़ में हैं
चलते चले जाते

भौतिकता तो भटकाती ही रहेगी
मन को

सादगी से भरा 'जीवन आदर्श' ही
हमारा पथ प्रशस्त करेगा।

- डॉ. माधवी सिंह



12 comments:

  1. वाह ... बेहतरीन

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  2. शुक्रिया रविकर भाई

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  3. by any chance - does this post have anything to do with my blog ?
    shilpa

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    1. शुक्रिया शिल्पा बहन

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  4. बहुत बेहतरीन सोच बेहतरीन कहन वाह

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  5. सार्थक सन्देश लिए हुए सुन्दर अभिव्यक्ति ..
    सादर
    मधुरेश

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  6. उत्कृष्ट रचना

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  7. बहुत अच्छी और सही बात आपने कितने साधारण तरीक़े से कह दी..!
    काश ! सब इतनी आसानी से समझ भी लेते !
    ~सादर !!!

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  8. बहुत ही अच्छी सोंच है..
    बहुत ही अच्छी रचना...
    :-)

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  9. वाह खूबसूरत सोच

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  10. सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।

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