Friday, November 9, 2012

हमेशा देर कर देता हूँ मैं.......... मुनीर निआज़ी





ज़रूरी बात कहनी हो
कोई वादा निभाना हो
उसे आवाज़ देनी हो
उसे वापस बुलाना हो
हमेशा देर कर देता हूँ मैं

मदद करनी हो उस की
यार को ढाढस बंधाना हो

बहुत देरीना रस्तों पे
किसी से मिलने जाना हो
हमेशा देर कर देता हूँ मैं

बदलते मौसमों की सैर में

दिल को लगाना हो
किसी को याद रखना हो
किसी को भूल जाना हो
हमेशा देर कर देता हूँ मैं

किसी को मौत से पहले

किसी ग़म से बचाना हो
हकीकत और थी कुछ उस को
जा के यह बताना हो

हमेशा देर कर देता हूँ मैं

--मुनीर निआज़ी

6 comments:

  1. बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको

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  2. किसी को याद रखना हो
    किसी को भूल जाना हो
    .................
    sundar shabd..... sundar bhav...

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  3. मन की बात काही आपने ...सुंदर

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  4. waah bahut khub


    दीवाली की बहुत बहुत शुभकामनाएँ

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