स्त्री से मत कहना
अपने मन की कोई दुविधा,कोई अप्रिय बात
वो बाँध लेगी उसकी गाँठ
झोंक देगी अपनी सारी ताकत
उसे समाप्त करने में
वो पूछेगी बार-बार उसके बारे में सवाल
और देगी खुद ही हर सवाल का
एक संभावित जवाब
किसी स्त्री से मत बताना
अपने जीवन के दुःख
जो रख देगी अपने सारे सुख गिरवी
और तुम्हें दुःखों से निकालनें की करेगी
भरसक कोशिश
किसी स्त्री से मत बताना
अपने डर के बारें में ठीक-ठीक कोई अनुमान
वो इसके बाद अपने डरों को भूलकर
तुम्हें बताएगी तुम्हारी ठीक-ठीक ताकत
अपने बारें में न्यूनतम बताना
किसी स्त्री को
बावजूद इसके
वो जान लेगी तुम्हारे बारें में वो सब
जो खुद के बारें नही जानते तुम भी
स्त्री से मत पूछना
दुःख की मात्रा
और सुख का अनुपात
स्त्री से मिलते वक्त
छोड़ आना अपने पूर्वानुमान
बचना अपने पूर्वाग्रहों से
सोचना हर मुलाकात को आख़िरी
स्त्री को बदलने की कोशिश मत करना
और खुद भी मत बदलना
स्त्री नही करती पसंद
किसी बदलाव को बहुत जल्द
स्त्री से कहना अपना धैर्य
स्त्री से सुनना उसके अनुभव
बिना सलाह मशविरा दिए
स्त्री जब पूछे तुमसे क्या हुआ?
कहना सब ठीक है
वो समझ जाएगी खुद ब खुद
कितना ठीक है और कितना है खराब.
- डॉ. अजित सिंह तोमर...
वाह
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 08 अक्टूबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteसुंदर रचना स्त्री पर
ReplyDeleteगज़ब
ReplyDeleteयह रहा स्त्री विमर्श
शानदार भावाभिव्यक्ति
ये कितनी सुंदर रचना है!
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 09 नवंबर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteलाजवाब।
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ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति
वाह वाह👌👌 नारी मन का सटीक विश्लेषण!!!
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