निकली ही क्यूँ ...
नंगे पाँव गोरी ।
नंगे पाँव गोरी ।
दिखी नहीं ता पै...
धूप निगोड़ी ॥
नाजुक कमरिया...
थामें गगरिया ।
रूप साजे हाय !
धारि ..कटरिया ॥
जालिम है जमाना...
ये ..नजरिया ।
संभल मग भरे...
शूल कंकरिया ॥
लद गए दिन ...
पनिहार पनघट के ।
जंचे अब ना ये ...
लटके झटके ॥
-अलका गुप्ता 'भारती'
बहुत सुंदर।
ReplyDelete💐 Nice
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeleteजीवंत चित्रण
ReplyDeleteबहुत सुंदर
वाह
ReplyDeleteबहुत सुंदर।
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteबहुत सुंदर
हार्दिक आभार आप सभी का 🙏🙏😊
ReplyDelete